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rakesh tikait मुंगेरी लाल के हसीन सपने 2021

  राकेश टिकैत का ड्रमा क्या आखरी प्रयोग या और कुछ अभी बाकी 26 जनवरी को पूरा राष्ट्र शर्मिंदा था स्वतंत्र भारत के इतिहास में अभी तक किसी भी राष्ट्रीय पर्व पर कभी भी आंदोलन या उग्र विरोध नहीं हुआ क्योंकि सत्ता में जो थे उन्हें राष्ट्र से कोई मतलब नहीं था विपक्ष में जो थे वो भी विरोध और आंदोलन करते थे परन्तु हमेशा जनता के भावनाओं का ख्याल रखा जाता था। परन्तु एक कहावत है बुरी आदत जल्दी जाती नहीं।  जो अभी तक सत्ता में थे उनको लगता है जो विशेष समुदाय जो इनके समर्थक है वही जानता है जो इन्होंने एक प्रोपेगेंडा फैला रखा था उसी के हिसाब से जनता सोचती है । परन्तु जनता इन्हे बार बार आयीना दिखा रही है। 26 जनवरी के शर्मसार कर देने वाली घटना के उपरान्त राकेश टिकैत की रूदाली के कई मायने है पहला है आंदोलन को लंबे समय तक खिचना ताकी सरकार का ध्यान आंतरिक व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगा रहे और जो अंतर्राष्ट्रीय घटनएं जैसे नेपाल में अस्थिर राजनैतिक हालत,म्यामार में सैनिक विद्रोह , ताईईवान के सविधनिक फेरबदल , गलवान वैली की स्थिति ,में चीन को बढ़त मील सके और भारत सरकार अंदर ही उलझी रह सके । इसी हेतु चीन के फ

किसान sangathan का अमर्यादित विरोध jan. 26

किसान आंदोलन में आतंकी संगठनों का प्रदर्शन भारत वर्ष में आंदोलन कुछ समय से अराजकता फैलाने का साधन मात्र रह गया है इसका उदाहरण 26 जनवरी 2021 को देखा गया । 26 जनवरी को जब से हमने होश संभाला तब से अब तक कभी भी स्वतंत्रता के पर्व के दिन हमने देश की जनता चाहे वो कोई भी विचारधारा को समर्थन करने वाले हो इस दिन प्रदर्शन होते हुए नहीं देखा । अब तक के शाशन कल के भोग करने वाले लोगों को शायद अभी तक ये खुमार नहीं उतरा कि वे भगवान है,वे जो भी कहेंगे,करेंगे वो सही है।जिसको गलत कह दिया वो ग़लत जिसको सही कह दिया वो सही। इसका उदाहरण है 26/01/2021 का नाम किसान आन्दोलन में वीभत्स प्रदर्शन और उस प्रदर्शन को कुछ तथाकथित किसान नेताओं के द्वारा सही ठहराना।  किसान अब तक होता ये था की कुछ तथाकथित बुधजिवी पत्रकारों के द्वारा कुछ घटनाओं को अपने हिसाब से सही या ग़लत सिद्ध कर देते थे। प्रतिवाद में कोई भी उत्तर नहीं मिलता था इस वजह से लोगों को अपने आपको भगवान या सुपर पॉवर होने का भ्रम हो गया था। चूंकि अब सोशल मीडिया या प्रतियोगी मीडिया के द्वारा उसका जवाब मिलने लगा है और उन्ही के भाषा में तो इन तथाकित बुधजिवी वर्ग

Rahul Gandhi और कांग्रेस की अपरिपक्वता 1

राहुल गांधी का परिचय राहुल गांधी  के पिता है भूतप्रुव प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी और इनके माता का नाम श्रीमती सोनिया गांधी (antonio mananio) है जो मूलतः इटली देश कि निवासी थी। राहुल गांधी नानी थी पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और पर नाना थे भारत वर्ष के पहले प्रधान मंत्री  स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरु। राहुल गांधी का परिचय यही है की वे गांधी परिवार के सदस्य है। राज व्यवस्था और लोकतंत्र में अंतर इतना है कि राज व्यवस्था में राजा  हमेशा राजा का पुत्र ही होता है चाहे वो योग्य हो अथवा नहीं। लोकतंत्र में राज सत्ता उसे प्राप्त होती है जिसे जनता चुनती है। स्वतंत्रता के बाद दुर्भाग्य यह रहा है कि भारतीय लोकतंत्र में अब तक वंशवाद की परंपरा चली आ रही है। एक सफल नेता का पुत्र सफल नेता बन सकता है । परन्तु उसे अनुभव हासिल करना पड़ेगा खुद को प्रमाणित करना पड़ेगा तभी वह लोकतांत्रिक व्यवस्था की सफलता है। राहुल गांधी के सम्बन्ध में यह एक बात वंशवाद की तरफ इंगित करता है की राहुल गांधी का चुनाव कांग्रेस संगठन डायरेक्ट  प्रधानमंत्री के रूप में करती है जिसे भारतीय जनता अभी तक अस्वीकार कर र