सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Narendra modi jananayak 1 नरेंद्र मोदी जननेता सदी के

 नरेंद्र मोदी परिचय के मोहताज नहीं


भारतीय राजनीति में बहुत समयावधि के पश्चात एक सर्वमान्य लोकप्रिय जननायक का उदय हुआ है। स्वतंत्रता के पश्चात भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू हुए परंतु जवाहर लाल नेहरू का चुनाव एकपछिय था।


जवाहर लाल नेहरू जननायक नहीं थे बल्की नेहरू जी का प्रधानमंत्री का पद अंग्रेजों और महात्मा गांधी के कृपा स्वरूप प्राप्त हुआ।साथ ही नेहरू जी के परिवार भी वंशवाद के रूप में भारतीय राजनीति में लंबे समय के लिए भारतीय राजनीतिक पटल पर स्थापित रहा।


लाल बहादुर शास्त्री जी जो प्रथम जनप्रिय नेतृत्व करता थे का उदय भारतीय राजनीति में जवाहरलाल नेहरू के मृत्य के पश्चात कांग्रेस में नेतृत्व के रिक्त स्थान की पूर्ति हेतु हुआ।


परन्तु इनके बाद काफी समय के लिए कांग्रेस का नेतृत्व की बागडोर और भारत के गरिमामय प्रधानमंत्री का पद संभाला नेहरू के वंश ने। कुछ समय के लिए राजनीतिक पटल पर तीसरा फ्रंट का दिशाविहीन मिलिजुली सरकार ने राज्य किया।


भारतीय जनता पार्टी जो राष्ट्रीय सेवम सेवक संघ से जुड़ी हुई पार्टी है का भी भारतीय राजनीति में अच्छी पहचान रही है। भारतीय जनता पार्टी की प्रारम्भ में मात्र दो सांसद थे भारत के गरिमामय सांसद में । भारतीय जनता पार्टी प्रथम बहुमत प्राप्त हुआ अटल बिहारी के नेतृत्व में जो भारतीय जनमानस में बहुत लोकप्रिय नेतृत्व करता थे।


माननीय नरेन्द्र मोदी का उदय 2014


नरेंद्र मोदी जी का जन्म गुजरात प्रांत में हुआ था जो अधिक समय तक राष्ट्रीय सेवम सेवक संघ जैसे संगठन से जुड़े हुए थे। नरेंद्र मोदी के आगमन राजनीत में राष्ट्रीय सेवम सेवक संघ द्वारा गुजरात जो कांग्रेस के नेतृत्व में दिशाविहीन था को सफल राज्य बनाने हेतु हुए।


नरेंद्र मोदी जी का नेतृत्व का योगदान तीन बार गुजरात को विकसित राज्य बनाने हेतु दिया गया गुजराती जनमानस के द्वारा।गुजरात के जनमानस को सफल नेतृत्व देने के पश्चात नरेंद्र मोदी का आगमन 2014के लोकसभा के चुनाव में होता है।


कठिन प्रचार अभ्यास और अच्छी रणनीति कुशल चुनाव प्रबंधन के कारण भारतीय जनता पार्टी को बहुमत प्राप्त करती है।सफल और लोकप्रिय होना और सफलता और लोक्रियता का बनाए रखना दोनों ही कठिन कार्य है वैसे ही राजनीति में लोकप्रियता पाना बड़ा कठिन है


परन्तु नरेंद्र मोदी जी अपने कार्य और नीतियों के कारण अपने लोकप्रियता को बनाए रखा और 2019 के चुनाव में अत्यधिक मतो से विजय प्राप्त किया।


नरेंद्र मोदी की सफल नीतियां


नरेंद्र मोदी के नीतियों को वर्णनं तीन भागों में बांट कर करते है।


1 विदेशी राजनीति

2 आंतरिक अर्थ नीति

3 आंतरिक राजनीति





विदेशी नीति


1. राजनयिक सफल विदेशी संबंध


अपने प्रथम कार्यकाल में प्रधानमंत्री जी ने पहला प्रयास विदेशी राजनीतक संबंध स्थपित करने का किया आजकल के भागौलिक राजनीति में विदेशी राजनयिक संबंध बनाए रखना अती आवश्यक है।


प्रधानमंत्री जी के सफल प्रयासों के परिणामस्वरूप फ्रांस अमेरिका अरब देशों और इजरायल जैसे शक्तिशाली देशों के साथ हमारे संबंध अच्छे हुए जिसका फल समय समय पर हमे नित्य प्राप्त हो रहें हैं। उदाहरण निम्नलिखत है


1 सर्जिकल स्ट्राइक


पाकिस्तान हमारा एक ऐसा पड़ोसी देश है जिसकी संस्कृति रहन सहन भारत जैसा ही है। क्योंकि पाकिस्तान संप्रदाय के नाम पर भारत से अलग होकर ही बना है।


पाकिस्तान का दुर्भाग्य यह है कि पाकिस्तान एक तो संप्रदाय के नाम से बना और उसके शासक और राष्ट्रीय चिंतकों ने पाकिस्तानी जनता को भारत और हिन्दुओं से नफ़रत और डर को उनके मन में सदैव बनाए रखा ।


भारत से श्रेष्ठ होने की सनक ने पाकिस्तानी चिंतकों को आतंकवादी संगठन स्थापित करने को उद्वेलित किया। आतंकवादी संगठनों के द्वारा नित्य नए कूकृत भारत वर्ष में मोदी जी के आने से पहले होते रहे।


मोदी जी को आने से पहले पाकिस्तान को भारत का पलटवार नहीं मिलते थे।अतः अपने आदत से मजबूर उरी में पाकिस्तानी राज्य समर्थित आतंकवादी घटना कराई गई ।


मोदी जी के नेतृत्व को यह कृत्य पसंद ना था अतः मोदी जी के द्वारा भारतीय राजनीति में इससे पहले कभी ना की जाने वाली पलटवार की नीति अपनाई गई जो सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में पाकिस्तान में किया गया।


मोदी जी का विदेशों से रजनाईक संबंधों का ही फल था कि पाकिस्तान के मित्र अरब देश भी कुछ ना बोला सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में।ऐसा ही एयरस्ट्रिक के समय भी हुआ।


2. चीन भारत का गलवान में संघर्ष


भारत का दूसरा पोडोशी है चीन। चीन का आदत रही है कि बिना युध्य किए डर और प्रोपगेंडा के बल पर दूसरे देशों के जमीन को अपने अधिकार में लेटा रहता है।


भारत में मोदी जी से पहले कभी चीन के इश नीति का विरोध नहीं किया गया ।परन्तु करीना से विश्व में बदनाम चीन नेतृत्व ने अपने जनमानस के ध्यान भटकने  के लिए गलवान में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न की गई जिसका मोदी नेतृत्व ने प्रतिकार किया।


यह विदेशी संबंध का ही फल है कि नरेंद्र मोदी जी को अमेरिका समेत अतियाधिक देशों का समर्थन प्राप्त है।

चीन का इस संघर्ष में चारों तरफ से सिर्फ मुंह की खानी पड़ेगी।





आंतरिक अर्थ नीति


नरेंद्र मोदी जी कि बरियता है भारत को आर्थिक और सुरक्षा में मजबूत बनाना ।नरेंद्र मोदी जी के द्वारा कई आर्थिक नीति लागू की गई जो निम्नलिखित है।


उज्वला योजना


उज्वला योजना के तहत भारत सरकार के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में बिजली की सुचारू संचालन किया गया।


ग्रामीण क्षेत्र में शौचालय की स्थापना


भारत सरकार के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय की स्थापना समान रूप से किया गया है।


इसके अलवा आपदा प्रबंध,रशोई गैश के वितरण,जैसे सफल आर्थिक नीतियों को नरेंद्र मोदी के द्वारा किया गया।


आंतरिक राजनीति


नरेंद्र मोदी के भारतीय राजनीति में पर्दापण से पहले राष्ट्रहित से पहले खुद का हित की राजनीति होती थी लेकिन अब राष्ट्र हित प्रथम है।जो पार्टी राष्ट्रहित की बात नहीं करेगी उसका अंत निकक्षित है।


नरेंद्र मोदी वही करते है जो राष्ट्रहित में हो और बहुसंख्य जनता चाहती है जिसका उदाहरण निम्नलखित है।


1धारा 370 ,35A की समाप्ति


धारा 370,35A जवाहर लाल नेहरू के सबसे बड़ी नाकामियों में एक थी जो भारतीय जनता के आंखों में चुभती रहती थी जिसका अंत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा हुआ।


2 C.A.A और NRC  को संसद में पारित करना


बाहर के लोगों को भारत में जब्रजस्ती नागरिक होना एक बड़ी सुरक्षा चूक पहले के भारतीय राजनीति नेतृत्व द्वारा हो रही थी।और साथ ही में हिन्दू मत के मानने वाले लोगों को पड़ोसी मुस्लिम देशों में प्रताड़ित किया जा रहा था।


इसका समाधान को भारतीय जनमानस की मांग बहुत पहले से किया जा रहा था जिसको नरेंद्र मोदी नेतृत्व ने पूरा किया।


तीन तलाक ,राम मंदिर निर्माण जैसे लोकप्रिय और विवादित मुदों का भी समाधान नरेंद्र मोदी जी के द्वारा हुआ। 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

rakesh tikait मुंगेरी लाल के हसीन सपने 2021

  राकेश टिकैत का ड्रमा क्या आखरी प्रयोग या और कुछ अभी बाकी 26 जनवरी को पूरा राष्ट्र शर्मिंदा था स्वतंत्र भारत के इतिहास में अभी तक किसी भी राष्ट्रीय पर्व पर कभी भी आंदोलन या उग्र विरोध नहीं हुआ क्योंकि सत्ता में जो थे उन्हें राष्ट्र से कोई मतलब नहीं था विपक्ष में जो थे वो भी विरोध और आंदोलन करते थे परन्तु हमेशा जनता के भावनाओं का ख्याल रखा जाता था। परन्तु एक कहावत है बुरी आदत जल्दी जाती नहीं।  जो अभी तक सत्ता में थे उनको लगता है जो विशेष समुदाय जो इनके समर्थक है वही जानता है जो इन्होंने एक प्रोपेगेंडा फैला रखा था उसी के हिसाब से जनता सोचती है । परन्तु जनता इन्हे बार बार आयीना दिखा रही है। 26 जनवरी के शर्मसार कर देने वाली घटना के उपरान्त राकेश टिकैत की रूदाली के कई मायने है पहला है आंदोलन को लंबे समय तक खिचना ताकी सरकार का ध्यान आंतरिक व्यवस्था को दुरुस्त करने में लगा रहे और जो अंतर्राष्ट्रीय घटनएं जैसे नेपाल में अस्थिर राजनैतिक हालत,म्यामार में सैनिक विद्रोह , ताईईवान के सविधनिक फेरबदल , गलवान वैली की स्थिति ,में चीन को बढ़त मील सके और भारत सरकार अंदर ही उलझी रह सके । इसी हेतु चीन के फ

किसान sangathan का अमर्यादित विरोध jan. 26

किसान आंदोलन में आतंकी संगठनों का प्रदर्शन भारत वर्ष में आंदोलन कुछ समय से अराजकता फैलाने का साधन मात्र रह गया है इसका उदाहरण 26 जनवरी 2021 को देखा गया । 26 जनवरी को जब से हमने होश संभाला तब से अब तक कभी भी स्वतंत्रता के पर्व के दिन हमने देश की जनता चाहे वो कोई भी विचारधारा को समर्थन करने वाले हो इस दिन प्रदर्शन होते हुए नहीं देखा । अब तक के शाशन कल के भोग करने वाले लोगों को शायद अभी तक ये खुमार नहीं उतरा कि वे भगवान है,वे जो भी कहेंगे,करेंगे वो सही है।जिसको गलत कह दिया वो ग़लत जिसको सही कह दिया वो सही। इसका उदाहरण है 26/01/2021 का नाम किसान आन्दोलन में वीभत्स प्रदर्शन और उस प्रदर्शन को कुछ तथाकथित किसान नेताओं के द्वारा सही ठहराना।  किसान अब तक होता ये था की कुछ तथाकथित बुधजिवी पत्रकारों के द्वारा कुछ घटनाओं को अपने हिसाब से सही या ग़लत सिद्ध कर देते थे। प्रतिवाद में कोई भी उत्तर नहीं मिलता था इस वजह से लोगों को अपने आपको भगवान या सुपर पॉवर होने का भ्रम हो गया था। चूंकि अब सोशल मीडिया या प्रतियोगी मीडिया के द्वारा उसका जवाब मिलने लगा है और उन्ही के भाषा में तो इन तथाकित बुधजिवी वर्ग

Rahul Gandhi और कांग्रेस की अपरिपक्वता 1

राहुल गांधी का परिचय राहुल गांधी  के पिता है भूतप्रुव प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी और इनके माता का नाम श्रीमती सोनिया गांधी (antonio mananio) है जो मूलतः इटली देश कि निवासी थी। राहुल गांधी नानी थी पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और पर नाना थे भारत वर्ष के पहले प्रधान मंत्री  स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरु। राहुल गांधी का परिचय यही है की वे गांधी परिवार के सदस्य है। राज व्यवस्था और लोकतंत्र में अंतर इतना है कि राज व्यवस्था में राजा  हमेशा राजा का पुत्र ही होता है चाहे वो योग्य हो अथवा नहीं। लोकतंत्र में राज सत्ता उसे प्राप्त होती है जिसे जनता चुनती है। स्वतंत्रता के बाद दुर्भाग्य यह रहा है कि भारतीय लोकतंत्र में अब तक वंशवाद की परंपरा चली आ रही है। एक सफल नेता का पुत्र सफल नेता बन सकता है । परन्तु उसे अनुभव हासिल करना पड़ेगा खुद को प्रमाणित करना पड़ेगा तभी वह लोकतांत्रिक व्यवस्था की सफलता है। राहुल गांधी के सम्बन्ध में यह एक बात वंशवाद की तरफ इंगित करता है की राहुल गांधी का चुनाव कांग्रेस संगठन डायरेक्ट  प्रधानमंत्री के रूप में करती है जिसे भारतीय जनता अभी तक अस्वीकार कर र