भारतीय राजनीति
भारत वर्ष का नामांकरण राजा भरत के नाम से हुआ जो हस्तिनापुर वर्तमान में हरियाणा मेरठ दिल्ली का क्षेत्र है के राजा सांतनु के पुत्र थे।भरत महान पराक्रमी न्याय प्रिय शासक थे। वर्तमान में भारत को इंडिया और हिंदुस्तान के नाम से भी जाना जाता है।
राजनीत की परिभाषा
राजनीत का तात्पर्य राज करने की नीति से है अर्थात एक ऐसी व्यस्था जिससे सामाजिक जीवन सुचारू रूप से संचालित हो सके। परन्तु जैसा के हर व्यस्था या अस्तित्व का एक परक्षाइं होती है जो इसके विकृत रूप होती है।विसा ही राजनीत में विकृत है।वो वास्तव में राजनीत ना होकर स्वें का हीत साधन मात्र है।इस विकृति राजनीति को मै कुकुरनिती का नामांकरण करता हूं।अतः राजनीति दो तरह की होती है।
1.राजनीति
2. कुकुरनिती
1 राजनीति क्या होती है
राजनीति एक व्यवस्था का नाम है जिसमें एक शासक अर्थात् व्यवस्था संचालक और दूसरा प्रजा होती है ।राजनीति का एक मात्र उद्देश्य है प्रजाहित व्यस्था का संचालन और व्यवस्था को त्रुटियों को दूर करना ही राजनीति है।
2.कुकुरनिती
कुकुरनिती राजनीति का विकृत नीति है जिसमे व्यवस्था होती है शासक होता है प्रजा होती है।परंतु उदेश्य होता है ख़ुद का हीत साधना।कुकुर नीति दुर्भाग्य से परिवार समाज और राजीति सबमें समाहित हो चुकी है।
भारतीय राजनीति के भाग
भारतीय सभ्यता प्राचीनतम सभ्यता में से एक है।वेद और सासत्रों के अनुसार भारतीय राजनीति को चार योग में विभाजित किया जा सकता है।
1. सतयुग
2. त्रेतायुग
3.द्वापरयुग
4.कलयुग
1.सतयुग
सतयुग का अर्थ है सत्य का युग अर्थात् सत्य की प्रधानता का युग ।इस युग की राजनीति में एक नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है जिसका नाम राजा हरिश्चंद है।इनके बारे में कहानी है कि इन्होने अपने वचन की मर्यादा हेतु अपने पुत्र तक का दान दे दिया।
2.त्रेतायुग
त्रेतायुग मर्यादा प्रधान योग है इस काल में राजनीति के प्रमुख नायक है मर्यादा प्रूसोत्म राम। श्रीराम ने पुत्र मर्यादा शाशक के मर्यादा पिता का मर्यादा और पत्नी की मर्यादा का निर्वहन प्रूर्णता के साथ किया है।
3.द्वापरयुग
द्वापरयुग के बारे में कहा जा सकता है कि यह युग में सत्य और असत्य समान रूप से विद्यमान थे अर्थात राजनीति और कुकुरनिती दोनों समान रूप से संचालित होती थी।इस युग के नायक थे कृषण जो भगवान विष्णु के अवतार थे। भगवान क्रेसन्न एक पूर्ण पुरोसोत्म व्यक्तित्व थे।
कृषण एक सच्चे राजनीतिक व्यक्तित्व का नाम है।दूसरे शब्दों में कहें तो कृष्ण को ही सच्चे रूप में राजनीत का पूर्ण ज्ञान था।जो krisn को समंझ गया वो राजनीति को समझ गया।अर्ताथ राजनीति के ज्ञान हेतु कृं के व्यक्तित्व का अध्ययन अती आवश्यक है।
4.कलयुग
कलयुग अर्थात असत्य का युग अर्थात वर्तमान का युग। कलयुग में भारतीय राजनीति को मुख्यत तीन भागों में बांट सकते है। जो भारतीय इतिहासकारों द्वारा संपादित है जो निम्नलिखित है
1.प्राचीन भारतीय राजनीति
2.मध्यकालीन भारतीय राजनीति
3.आधुनिक भारतीय राजनीति
1 प्राचीन भारतीय राजनीति
प्राचीन भारतीय राजनीति के नायक में कुछ प्रमुख राजों का वर्णन है जिसमे मौर्यवंश ,गुप्त वंश ,जो उत्तर भारत के शासक थे पलव वंश चोलवांश जो कि दक्षिण भारत केसासक थे।
व्यक्तिगत रूप से उतर भारत में चन्द्रगुप्त मौर्य, चन्द्रगुप्त, समुद्रगुप्त, अशोक, इत्यादि का नाम प्रमुख है।जिनके शासन काल में राजनैतिक व्यवस्था का स्वर्णिम काल था। इनके कल में कुछ महान आध्यात्मिक व्यक्तियों का भी उदय हुआ जिनके अलेख है जैसे गौतम बुद्ध, महावीर जैन
मध्यकालीन भारतीय राजनीति
मध्यकालीन भारतीय राजनीत को मुस्लिम शासक वर्ग और बाहरी आक्रमणकारी शासकों का युग है। मध्य कालीन योग के प्रारम्भ में भारतीय राजनीति में बाहरी आक्रमणकारी यावन सिकंदर कुषाण जैसे शाशको का युग है।
मध्य में चंगेज खां, मुहम्मद गजनवी व मुहम्मद गौरी का युग है जो अत्यन्त भवावह कुकुर नीति का युग था।
अन्तिम युग मुगलों का था जिसमे बाबर हुमायूं अकबर शाहजंहा औरंगजेब प्रमुख थे मुगलों का आसान काल कुछ ज्यादा था अपेक्षाकृत और आक्रमणकारी शासक वर्ग के।
इन मुगले के सापेक्ष कुछ भारतीय शासक वर्ग भी का नाम अत्यन्त सुन्दर नामों में लिया जा सकता है जैसे शिवाजी महाराजा राणा प्रताप इत्यादि।
आधुनिक भारतीय राजनीति
आधुनिक भारतीय राजनीति का आरम्भ ईस्ट इडिया कम्पनी के आगमन से होता है जो मुग़ल शासक और भारतीय कमजोर शासक वर्ग के कुकुरनित्यों के कारण लाभ प्राप्त कर अग्रेजों के गुलाम हो जाते है ।
अग्रेजों के राज्य स्थापित हो जाने के पश्चात भारतीय राजनीति में स्वतंत्रता का युग की सुरवात होती है जो स्वतन्त्रता संग्राम से प्रारम्भ हो कर कांग्रेस की स्थापना ,और कई क्रांतिकारियों जैसे खुदी राम बोस,असफाक उला खान, सबाष चन्द्र बोस,भगत सिंह,चंद्रशेखर आजाद के संघर्षों से होते हुए भारतवर्ष के आजादी तक आता है ।
स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय राजनीत
स्वतंत्रता के बाद भारतीय गणराज्य के प्रधामंत्री ही भारत का शासक होता है । भारत के प्रधानमंत्रियों का विस्तार पूर्वक अध्यन करते है।
1 पण्डित जवाहर लाल नेहरू
पण्डित जवाहर लाल नेहरू को की भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे गांधी जी के कोशिश से सरदार वल्लभ भाई पटेल के कांग्रेस में बहुमत होने के बाद भी प्रथम प्रधानमंत्री बने।
पण्डित जवाहर नेहरू की अच्छी नीतियां
1 योजना आयोग का निर्माण
2 गुटनिरपक्षता का सिद्धांत
पण्डित जवाहर लाल नेहरू की असफल नीतियां
1. सुरक्षा परिषद का सदस्यता चीन को देना
2. कश्मीर का विभाजन और धारा 370 व 35A
2 लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री भारतीय राजनीति के एक सच्चे सिपाही थे।जो एक साधारण से परिवार से होकर भारतीय राजनीति के उच्चतम पद तक पहुंचे।
3.इन्द्र गांधी
इन्द्र गांधी जो पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुत्री थी से भारतीय राजनीति जो एक गणराज्य है में वंशवाद का प्रारम्भ होता है । इन्द्र गांधी का राजनैतिक सफर असफलताओं और सफलताओं से भरा पड़ा है।
इन्द्र गांधी के सफलताएं
पाकिस्तान का विभाजन
इंद्रा गांधी की असफलताएं
आपातकाल लागू करना
4 मोरारजी देसाई
मोरार जी देशाई का उदय का एकमात्र कारण इन्द्र गांधी का कमजोर होती स्थित थी ।मोरार जी देशी एक भारतीय कुकुर नीति के परिणाम थे
5 चौधरी चरण सिंह
चरन सिंह समाजवादी नेता माननीय मनोहर लोहिया के संग्रहों के साथ और कांग्रेस के छय होने के कारण प्रधान मंत्री हुवे। चौधरी चरण सिंह एक किसान नेता भी थे।
6 राजीव गांधी
राजीव गांधी वंशवाद के वजह से एक मजबूत विपक्ष न होने के परिणाम स्वरूप प्रधानमंत्री हुए
7 चंद्रशेखर सिंह
कांग्रेस के कमजोर होने की वज़ह से चंद्रशेखर सिंह प्रधान मंत्री बेनी चंद्रशेखर ऐसे प्रधान मंत्री है जो कभी कई मंत्री पद धारण नहीं किया जवाहर के बाद ये ऐसे दूसरे नेता थे
7 पी नरसिंह राव
नरसिंहा राव भारत में सुधारवाद या भारतीय व्यापर को विदेशी कंपनियों के लिए भी खोलने के लिए जाने जाते थे।राव साहब एक मझे हुए राजनीतक व्यक्ति थे
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