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जनवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

किसान sangathan का अमर्यादित विरोध jan. 26

किसान आंदोलन में आतंकी संगठनों का प्रदर्शन भारत वर्ष में आंदोलन कुछ समय से अराजकता फैलाने का साधन मात्र रह गया है इसका उदाहरण 26 जनवरी 2021 को देखा गया । 26 जनवरी को जब से हमने होश संभाला तब से अब तक कभी भी स्वतंत्रता के पर्व के दिन हमने देश की जनता चाहे वो कोई भी विचारधारा को समर्थन करने वाले हो इस दिन प्रदर्शन होते हुए नहीं देखा । अब तक के शाशन कल के भोग करने वाले लोगों को शायद अभी तक ये खुमार नहीं उतरा कि वे भगवान है,वे जो भी कहेंगे,करेंगे वो सही है।जिसको गलत कह दिया वो ग़लत जिसको सही कह दिया वो सही। इसका उदाहरण है 26/01/2021 का नाम किसान आन्दोलन में वीभत्स प्रदर्शन और उस प्रदर्शन को कुछ तथाकथित किसान नेताओं के द्वारा सही ठहराना।  किसान अब तक होता ये था की कुछ तथाकथित बुधजिवी पत्रकारों के द्वारा कुछ घटनाओं को अपने हिसाब से सही या ग़लत सिद्ध कर देते थे। प्रतिवाद में कोई भी उत्तर नहीं मिलता था इस वजह से लोगों को अपने आपको भगवान या सुपर पॉवर होने का भ्रम हो गया था। चूंकि अब सोशल मीडिया या प्रतियोगी मीडिया के द्वारा उसका जवाब मिलने लगा है और उन्ही के भाषा में तो इन तथाकित बुधजिवी वर्ग

समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव samajwadi parti 2022

  समाजवादी पार्टी  का उदय भारतीय आधुनिक इतिहास की शुरुआत स्वतंत्रता के बाद होती है ।भारतीय राजनीति में नेहरू परिवार का सत्ता उपहार स्वरूप प्राप्त हुआ जाहिर सी बात है किसी व्यक्ति जो उस पद के काबिल ना हो और उस वह पद प्राप्त हो जाती है तो उसके विरोध में कोई ना कोई जो उस पद को अपने योग्य समझता है आजाता है। नेहरू और कांग्रेस के विरोध में उस समय  हिंदी भासी क्षेत्र में दो  संगठन खड़े हुए एक राष्ट्रीय स्वेम सेवक संघ और राम मनोहर  लोहिया के नेतृत्व में समाजवादी उत्तर प्रर्टी। लोहिया के नेतृत्व में जो व्यक्ति थे उसमें थे चौधरी चरण सिंह जो राम मनोहर लोहिया के संगठन के एक लोकप्रिय व्यक्ति थे। चौधरी चरण सिंह जो किसान नेता के रूप में बाद में प्रतिष्ठित हुए और मुख्मंत्री और प्रधानमंत्री हुए। चौधरी चरण सिंह के सहयोगी में थे मुलायम सिंह यादव जिन्होंने समाजवादी पार्टी की स्थापना किया। कांग्रेस के उत्तर प्रदेश में कम होती लोकप्रियता को मुलायम सिंह यादव ने भरपूर लाभ उठाया और मुख्मंत्री के रूप में सत्ता का लाभ  प्राप्त किया। कांग्रेस के तुष्टि कारण के नीतियों और परिवार बाद से पीछा छुड़ाकर एक मौका था समा

किसान आंदोलन और विपक्ष kisanandolan aur vipaksh 2020

किसान आंदोलन कसे और क्यों किसान आंदोलन विपक्ष की राजनीति का परिणाम है।  विपक्ष की सत्ता की  लोलुपता पावर प्राप्त करने की नसा ने विपक्ष की देशद्रोह जैसे कार्य करने से भी गुरज नहीं है।किसान आन्दोलन असामजिक तत्व और देशविद्रोही शक्तियों को अपने शक्ति प्रदर्शन हेतु भीड़ का जमावड़ा का स्थल मात्र है। इस में दो राय नहीं है की इसमें कुछ थोड़ी मात्र में  किसान भी एकत्रित है और ये भी सही है की किसान बिल में कुछ खामियों भी है। परन्तु ये आंदोलन  किसान हित के लिए किया गया  आन्दोलन नहीं है। ये मात्र मोदी विरोध और देश विरोध का एक प्रदर्शन है। जिसने कुछ अज्ञानी मासूम व्यक्ति का उपयोग हो रहा है अपने हित और देश को अस्थीर करने हेतु। किसान आंदोलन एक बड़ी दुर्घटना का स्थल भी हो सकता है । अतः सरकार को चाहिए की इनसे बुधमिता से और जल्दी निपटे वरना ये अपने मंसूबों में कामयाब हो सकते है  किसान आंदोलन के पिक्षे की मंशा  किसान आंदोलन को समझने के लिए हमे jeo political राजनीति को समझना होगा। एक जंगल में दो शेर नहीं रह सकते ।इस विश्व को जंगल मानकर दो शेर अमेरिका और  चीन को मान सकते है चीन अमेरिका को आंख का कांटा ब

Rahul Gandhi और कांग्रेस की अपरिपक्वता 1

राहुल गांधी का परिचय राहुल गांधी  के पिता है भूतप्रुव प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी और इनके माता का नाम श्रीमती सोनिया गांधी (antonio mananio) है जो मूलतः इटली देश कि निवासी थी। राहुल गांधी नानी थी पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और पर नाना थे भारत वर्ष के पहले प्रधान मंत्री  स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरु। राहुल गांधी का परिचय यही है की वे गांधी परिवार के सदस्य है। राज व्यवस्था और लोकतंत्र में अंतर इतना है कि राज व्यवस्था में राजा  हमेशा राजा का पुत्र ही होता है चाहे वो योग्य हो अथवा नहीं। लोकतंत्र में राज सत्ता उसे प्राप्त होती है जिसे जनता चुनती है। स्वतंत्रता के बाद दुर्भाग्य यह रहा है कि भारतीय लोकतंत्र में अब तक वंशवाद की परंपरा चली आ रही है। एक सफल नेता का पुत्र सफल नेता बन सकता है । परन्तु उसे अनुभव हासिल करना पड़ेगा खुद को प्रमाणित करना पड़ेगा तभी वह लोकतांत्रिक व्यवस्था की सफलता है। राहुल गांधी के सम्बन्ध में यह एक बात वंशवाद की तरफ इंगित करता है की राहुल गांधी का चुनाव कांग्रेस संगठन डायरेक्ट  प्रधानमंत्री के रूप में करती है जिसे भारतीय जनता अभी तक अस्वीकार कर र

Narendra modi jananayak 1 नरेंद्र मोदी जननेता सदी के

  नरेंद्र मोदी परिचय के मोहताज नहीं भारतीय राजनीति में बहुत समयावधि के पश्चात एक सर्वमान्य लोकप्रिय जननायक का उदय हुआ है। स्वतंत्रता के पश्चात भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू हुए परंतु जवाहर लाल नेहरू का चुनाव एकपछिय था। जवाहर लाल नेहरू जननायक नहीं थे बल्की नेहरू जी का प्रधानमंत्री का पद अंग्रेजों और महात्मा गांधी के कृपा स्वरूप प्राप्त हुआ।साथ ही नेहरू जी के परिवार भी वंशवाद के रूप में भारतीय राजनीति में लंबे समय के लिए भारतीय राजनीतिक पटल पर स्थापित रहा। लाल बहादुर शास्त्री जी जो प्रथम जनप्रिय नेतृत्व करता थे का उदय भारतीय राजनीति में जवाहरलाल नेहरू के मृत्य के पश्चात कांग्रेस में नेतृत्व के रिक्त स्थान की पूर्ति हेतु हुआ। परन्तु  इनके बाद काफी समय के लिए कांग्रेस का नेतृत्व की बागडोर और भारत के गरिमामय प्रधानमंत्री का पद संभाला नेहरू के वंश ने। कुछ समय के लिए राजनीतिक पटल पर तीसरा फ्रंट का दिशाविहीन मिलिजुली सरकार ने राज्य किया। भारतीय जनता पार्टी जो राष्ट्रीय सेवम सेवक संघ से जुड़ी हुई पार्टी है का भी भारतीय राजनीति में अच्छी पहचान रही है। भारतीय जनता पार्टी की प्रा

panchatpress का नजरिया भारतीय राजनीति के लिए 1

भारतीय राजनीति भारत वर्ष का नामांकरण राजा भरत के नाम से हुआ जो हस्तिनापुर वर्तमान में हरियाणा मेरठ दिल्ली का क्षेत्र है के राजा सांतनु के पुत्र थे।भरत महान पराक्रमी न्याय प्रिय शासक थे। वर्तमान में भारत को इंडिया और हिंदुस्तान के नाम से भी जाना जाता है। राजनीत की परिभाषा राजनीत का तात्पर्य राज करने की नीति से है अर्थात एक ऐसी व्यस्था जिससे सामाजिक जीवन सुचारू रूप से संचालित हो सके। परन्तु जैसा के हर व्यस्था या अस्तित्व का एक परक्षाइं होती है जो इसके विकृत रूप होती है।विसा ही राजनीत में विकृत है।वो वास्तव में राजनीत ना होकर स्वें का हीत साधन मात्र है।इस विकृति राजनीति को मै कुकुरनिती का नामांकरण करता हूं।अतः राजनीति दो तरह की होती है। 1.राजनीति 2. कुकुरनिती 1 राजनीति  क्या होती है राजनीति एक व्यवस्था का नाम है जिसमें एक शासक अर्थात् व्यवस्था संचालक और दूसरा प्रजा होती है ।राजनीति का एक मात्र उद्देश्य है प्रजाहित व्यस्था का संचालन और व्यवस्था को त्रुटियों को दूर करना ही राजनीति है। 2.कुकुरनिती कुकुरनिती राजनीति का विकृत नीति है जिसमे व्यवस्था होती है शासक होता है प्रजा होती है।परंतु उदेश